"तुम्हे क्यों सोचता हूँ"




 अकसर सोचता हूँ
 की तुम्हे क्यों सोचता हूँ
 इस सोच सोच में फिर
 तमको ही सोचता हूँ

मेरा में खुद न रहा
तेरा हो कर तेरा न रहा
फिर तेरे मेरे में
कही का न रहा

बीते रात इन सवालों में
चाँद छुप जाए उजालों में
अगली रात फिर यही सोचता हूँ
की तुम्हें क्यों सोचता हूँ










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