"मैं शून्य ही सही"

मैं शून्य ही सही
पर अस्तित्व मिटा नही
हूँ तेज में जला
पर खाक हुआ नही
लहरों में जो घिरा
पर डूबता नही
आंधी में हूँ खड़ा
पर गिर न सका
जंग में पिस रहा
पर हारता नही
अंधेरी रात जो हुई
भयभीत न हुआ
जुगनू सा जल उठा
खुद ही प्रकाश बन
पथ पर बढ़ता चला
मैं शून्य ही सही
पर अस्तित्व न मिटा
     


       -योगेन्द्र थलेड़ी

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